कब तक रहोगे आखिर युँ दूर-दूर हमसे,
मिलना पडेगा आखिर इक दिन जरूर हमसे,
दामन बचाने वाले ये बेरूखी है कैसी?
कह दो अगर हुआ है कोई कसूर हमसे,
हम छोड देगें तुमसे युँ बातचीत करना,
तुम पुछते फिरोगे अपना कसूर हमसे,
हम छीन लेंगे तुमसे ये शान-ऐ-बेनियाजी,
तुम माँगते फिरोगे अपना घूरूर हमसे..
शराबी शायरी
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